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लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा महामारी के समय मानसिक स्वच्छता विषय पर हुआ कार्यक्रम का आयोजन

लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के छात्र परिषद द्वारा “ महामारी के समय मानसिक स्वच्छता ” विषय पर ऑनलाइन माध्यम से इंटरफेस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर नेशनल पी जी कॉलेज लखनऊ के मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमार खत्री एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग से डॉ मानिनि श्रीवास्तव प्रस्तुत रही। कार्यक्रम की शुरुआत लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के छात्र कमेटी के सदस्य आदित्य सिन्हा ने की। तत्पश्चात डॉ. श्रीवास्तव ने मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वच्छता पर अपने विचारों को रखा, साथ ही वक्ताओं ने बताया कि हमें मानसिक स्वास्थ्य पर भी उतना ही ध्यान देने की आवश्कता है जितना कि हम शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देते है। इसी के साथ संतुलित मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकताओं पे भी चर्चा हुई, शोधार्थियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए यह भी बताया कि हमें होने वाली शारीरिक समस्याएं पूर्णतया मानसिक समस्याओं से जुड़ी हुई होती हैं और हम इन पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।

इस कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनूप कुमार भारतीय जी, बी आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रणवीर सिंह जी, लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजकार्य विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं चीफ प्रॉक्टर प्रो. ए. एन. सिंह उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से डॉ अलका वर्मा जी एवं लगभग सौ से अधिक छात्र – छात्राएं, शोधार्थी, शिक्षक और माननीय गण उपस्थित रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग की शोध विद्यार्थी आमरीन खान कार्यक्रम की संयोजक रही तथा हरीम फातिमा नोमानी कार्यक्रम की समन्वयक थी।

इंटरफेस का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य तथा स्वच्छता एवं दैनिक जीवन में इसके महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना था, क्योंकि महामारी के समय में मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करना स्वयं के लिए महत्वपूर्ण है। डॉ खत्री एवं डॉ श्रीवास्तव ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व की चर्चा करते हुए प्रतिभागियों को शारीरिक स्वास्थ्य तथा मानसिक स्वास्थ्य के महत्व से अवगत कराया। श्री खत्री ने मानसिक स्वच्छता के तीन पैरामीटर दिए जो व्यक्तियों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक कल्याण को आवरण करते है एवं इन तीन मानकों के बीच संतुलन बताया। प्रतिभागियों के सभी प्रश्नों का उत्तर वेबिनार में मौजूद दो पेशेवरों द्वारा शानदार तरीके से दिया गया, जिसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग की छात्रा सिदरा अहमद ने सभी प्रतिभागियों का आभार प्रकट करते हुए इस इंटरफेस का अंत किया।

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