भारत परमाणु शस्त्रों के मामले में अपने चिर प्रतिस्पर्धियों, चीन और पाकिस्तान से पीछे है, बावजूद इसके युद्ध छिड़ने पर दोनों देशों से दो-दो हाथ करने की भरपूर क्षमता रखता है। अब तो अग्नि-V मिसाइलें और राफेल युद्धक विमान के साथ-साथ परमाणु क्षमता से परिपूर्ण पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत भी सेना में शामिल हो चुके हैं। स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस इंस्टिट्यूट ने सोमवार को ताजा आंकड़े जारी किए हैं जिनके अनुसार, चीन के पास अभी 350, पाकिस्तान के पास 165 जबकि भारत के पास 156 परमाणु शस्त्र ही हैं।
टीओआई की रिपोर्ट में भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि भारत के पास जमीन से बैलिस्टिक मिसाइल एवं परमाणु चालित पनडुब्बियों से परमाणु हथियार दागने की क्षमता है। भारत के पास ‘भरोसेमंद सेकेंड स्ट्राइक क्षमताएं’ हैं। इससे वारवेड्स की ज्यादा संख्या बहुत मायने नहीं रखती है। एक अधिकारी ने कहा, ‘परमाणु हथियार दुश्मन को काबू में रखने के लिए होते हैं, युद्ध लड़ने के लिए नहीं। पाकिस्तान और उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों की तकनीकी चीन से हासिल की है लेकिन भारत अपने स्वदेशी तकनीक के बलबूते आगे बढ़ा है।’
वहीं एसआईपीआरआई इयरबुक 2021 में उल्लिखित अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया के कुल 13,080 वैश्विक परमाणु हथियारों में से लगभग 2,000 को उच्च परिचालन अलर्ट की स्थिति में रखा गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि सऊदी अरब, भारत, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और चीन 2016 और 2020 के बीच दुनिया में प्रमुख हथियारों के पांच सबसे बड़े आयातक थे। इस अवधि में प्रमुख हथियारों के वैश्विक आयात में सऊदी अरब की 11 प्रतिशत और भारत की 9.5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।