चारधाम यात्रा : कोरोना काल के कारण दो साल बाद उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। रविवार को बदरीनाथ धाम का कपाट खुलने के साथ ही चार धाम की यात्रा विधिवत शुरू हो गई है। आम श्रद्धालुओं का रेला चार धाम यात्रा में उमड़ा है तो तमाम दिशा-निर्देश हवा हो गए हैं। अव्यवस्था का आलम यह है कि चारधाम यात्रा शुरू होने के छह दिन के भीतर ही केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम जाने वाले 20 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। अव्यवस्थाओं व कठिन परिस्थितियों के बीच वृद्ध और बीमार तीर्थयात्रियों की जान पर पैदल यात्रा भारी पड़ रही है।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से चारधाम यात्रा मार्गों पर स्वास्थ्य सेवाओं के पुख्ता इंतजाम होने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन केदारनाथ व यमुनोत्री धाम के कठिन पैदल मार्गों पर स्वास्थ्य सेवाओं के साथ ठहरने के पर्याप्त इंतजाम तक नहीं है। सोमवार तक मिली जानकारी के अनुसार, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में 14 यात्रियों की मौत हो चुकी थी। इनके अलावा केदारनाथ में पांच और बदरीनाथ में एक श्रद्धालु की मृत्यु की सूचना है। इस तरह छह दिन में 20 तीर्थयात्रियों की मौत ने यात्रा के आयोजकों और प्रशासन को चिंता में डाल दिया है।
केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में क्षमता से दोगुने से अधिक यात्री दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं, जिससे धामों में श्रद्धालुओं को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है। केदारनाथ व यमुनोत्री धाम के लिए तीर्थ यात्रियों को कठिन रास्ता तय करना पड़ता है। उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों से गुजरने वाले पैदल रास्ते में ठंड के साथ ऑक्सीजन की कमी होती है। ऐसे में पैदल चढ़ाई करने में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर, अस्थमा से ग्रसित मरीजों को तबीयत बिगड़ने का खतरा रहता है। चारधाम यात्रा में यात्रा मार्गों पर चिकित्सा इकाईयों में डॉक्टरों के साथ दवाईयां, एंबुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।