जम्मू कश्मीर: जम्मू कश्मीर मे परिसीमन के बाद 7 सीटें बढ़ने से विधानसभा सीटों की संख्या 90 हो जाएगी, जिसका सबसे ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। परिसीमन प्रक्रिया की वजह से जो 7 सीटें बढ़ेंगी, वो सीटें जम्मू में बढ़ सकती हैं। ऐसे में कश्मीर में तो 46 सीटें ही रहने वाली हैं, लेकिन जम्मू में ये आंकड़ा 37 से बढ़कर 44 हो जाएगा। जबकि इससे पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।

बताया जा रहा हैं कि परिसीमन के बाद यह सीटें जम्मू में ही बढ़ सकती हैं, जहां भाजपा कुछ सालों से खुद को मजूबत करने में जुटी हुई है। भाजपा का दबदबा और वोट प्रतिशत भी लगातार यहां बढ़ रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां उसे 32.4 फीसदी वोट मिले थे वहीं 2019 में  46.39% वोट हासिल हुए। हालांकि घाटी में पीडीपी और एनसी की अच्छी पकड़ मानी जाती है।

जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए परिसीमन आयोग के सदस्य और मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया कि परिसीमन की प्रक्रिया अगले साल मार्च तक पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने संकेत दिया कि यहां 7 सीटें बढ़ाई जा सकती हैं। जम्मू-कश्मीर भाजपा प्रमुख रविंदर रैना के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा में जम्मू के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की मांग भी की है।

अब तक के चुनावों में ऐसा देखा गया था कि कश्मीर में बेहतरीन प्रदर्शन कर के भी जम्मू-कश्मीर में सरकार बन जाती थी, अकेले जम्मू का योगदान कम रहता था। लेकिन अगर ये सात सीटें जम्मू के साथ जुड़ जाती हैं, तो इससे राजनीतिक समीकरण बदलते दिख सकते हैं। इसी  बात की चिंता स्थानीय पार्टियों को है, क्योंकि इससे महबूबा मुफ्ती और फारुक अबदुल्ला जैसे नेताओं का दबदबा खत्म होने का डर है।

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