गोरखपुर: जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रामेश्वर मिश्र ने बताया कि कोविड महामारी के बीच कुछ माह तक टीबी अभियान प्रभावित रहा। लेकिन, जैसे ही महामारी की रफ्तार कम हुई फिर से जांच का दायरा बढ़ा दिया गया। अब तक छह हजार के आसपास टीबी के मरीज मिल चुके हैं। इनमें सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज कराने वाले मरीजों को निशुल्क दवाएं और सुविधाएं दी जा रहीं हैं।
इस साल 7 महीनों में गोरखपुर जिले में टीबी के 5897 मरीज मिले हैं। जनवरी माह से लेकर 31 जुलाई के बीच हर दिन औसतन टीबी के 28 मरीज मिले हैं। कुल संख्या में निजी अस्पतालों के 2550 मरीज भी शामिल हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के 2025 तक टीबी मुक्त जिला मुहिम को झटका लगना तय है।इन मरीजों की उम्र 25 से 65 वर्ष के बीच है। इनमें 70 फीसदी पुरुष और 30 फीसदी महिला मरीज शामिल हैं।
वहीं पिछले 31 महीनों की बात करें तो टीबी के कुल 26025 मरीज मिल चुके हैं। इसमें सात माह ऐसे रहे हैं, जिनमें कोरोना महामारी की वजह से मरीजों की जांच नहीं हो सकी है। वरना यह आंकड़े बढ़ने तय थे। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रामेश्वर मिश्र ने बताया कि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं। ऐसे लक्षण मिलने पर तत्काल टीबी की जांच कराएं।
एक नजर आंकड़ों पर
वर्ष मरीज
2019 11473
2020 8658
2021(31 जुलई तक) 5894
जिले में पिछले तीन वर्षों के अंदर 21,182 मरीजों के खाते में सहायता राशि के तौर पर पांच करोड़ 42 लाख रुपये भेजे गए हैं। टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत टीबी मरीजों को प्रति माह 500 रुपये बेहतर खानपान के लिए भेजे जाते हैं।
