चीन: वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि उन्हें दक्षिणी चीन के गैंझू में हाल ही में डायनासोर का एक 6.6 करोड़ साल पुराना अंडा मिला है, इस अंडे में डायनासोर के बच्चे का पूरा जीवाश्म मिला है। यानी उस दौर में अगर कुछ और दिन यह अंडा सुरक्षित रहा होता तो इससे डायनासोर का बच्चा उसी तरह निकलता, जैसे किसी अंडे से मुर्गी का बच्चा निकलता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह अंडा फूटता और इससे डायनासोर निकल पाता, तो यह करीब साढ़े छह से 10 फीट तक लंबा होता। हालांकि, डायनासोर की यह प्रजाति शाकाहारी होती थी। खोजकर्ताओं का मानना है कि यह अंडा किसी तरह के भूस्खलन की वजह से मिट्टी में दब गया और इतने सालों तक मुर्दाखोरों (स्कैवेंजर्स) से बचे रहे।
यह जीवाश्म दक्षिणी चीन के गैंझू में मिला है। इसमें जो डायनासोर पाया गया है, वह टूथलेस थेरोपॉड डायनासोर (जिसे ओविरैप्टोसोर भी कहते हैं) प्रजाति का है। रिसर्चर्स ने इसे बेबी यिंग्लियांग नाम दिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के रिसर्चर फियोन वाइसुम मा के मुताबिक, इतिहास में अब तक मिले डायनासोर के भ्रूणों में यह सबसे बेहतर है।
रिसर्चर फियोन वाइसुम मा और उनके साथियों को इस अंडे में डायनासोर का सिर उसके शरीर के नीचे मिला और इसके पैर दोनों तरफ फैले थे। साथ ही पीठ भी मुड़ी हुई पाई गई। अब तक मिले डायनासोर के भ्रूणों में इस तरह की स्थिति नहीं पाई गई थी। लेकिन आधुनिक समय के पक्षी अपने अंडे में कुछ इसी स्थिति में होते हैं।
खोज करने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक, पक्षी आमतौर पर अपना सिर दाहिने पंख के पीछे छिपाकर अपनी चोंच से अंडा तोड़ते हैं। लेकिन जो भी पक्षी अपना सिर छिपा नहीं पाते, उनके अंडा तोड़ने के बावजूद मृत होने की संभावना ज्यादा होती है। रिसर्चर फियोन वाइसुम मा ने कहा कि जिस तरह की स्थिति में डायनासोर का भ्रूण मिला है, उससे यह संकेत मिलता है कि आधुनिककाल के पक्षियों के अंडे में रहने की स्थिति उनके डायनासोर पूर्वजों से ही तय हुई थी।
