अध्ययन: अमेरिका में हुए एक अध्ययन के आधार पर दावा किया गया है कि, जिन लोगों ने कोविड वैक्सीन की पहली खुराक ली है, उनमें तनावग्रस्त होने की संभावना कम है। भारतीय डॉक्टरों ने भी इस अध्ययन के नतीजों से सहमति जताते हुए पुष्टि की है कि टीकाकरण से कम वक्त के लिए ही सही, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहन मिलता है।
साउथ कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च (सीईएसआर) में हुए अध्ययन का पीएलओएस पत्रिका में प्रकाशन हुआ, जिसमें कहा गया कि 2020 में कोविड महामारी के चलते लोगों में तनाव जिस उच्च स्तर पर पहुंचा था, वह वैक्सीन की पहली खुराक के साथ लगभग खत्म हो गया।
इंडियन जर्नल ऑफ साइकेट्री में प्रकाशित अध्ययन में यह दावा किया गया कि महामारी के शुरुआती दौर में आधा देश रातभर बेचैन रहता था, 40% लोगों में खराब नींद की शिकायत रही तो 34% को तनाव रहता था l 34% लोगों ने खुद को मनोवैज्ञानिक संकट में पाया था।
अध्ययन के दौरान 8,003 वयस्कों के 10 मार्च, 2020 से 31 मार्च, 2021 के बीच किए गए सर्वेक्षणों के विश्लेषण पाया गया कि दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच जिन्हें टीके की पहली खुराक लगी उन्हें टीका नहीं लगवाने वाले लोगों की तुलना में तनाव या मानसिक संकट कम महसूस हुआ था। वहीं, टीका नहीं लगवाने वाले लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी टीकाकरण का प्रभाव पड़ा है।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि टीके लेने से मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिलती है। क्योंकि परोक्ष रूप से ही सही टीका लोगों में सुरक्षा की भावना को मजबूत करता है। लोग आश्वस्त हैं कि अगर वे संक्रमित हुए भी तो उन्हें अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा।
