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BREAKING NEWS: नही दिखेगे इस बार कांवर यात्रा ले जा रहे शिव भक्त कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए कावड़ यात्रा में न जाने की अपील

रायबरेली: बोल बम के नारे के साथ  हाथों में कांवर उठाये  इस बार शिवभक्त सावन के महीने में जलाभिषेक नहीं कर सकेंगे। महामारी को देखते हुए इस यात्रा पर रोक लगा दी गई है। जिससे शिव भक्त अपने भीतर निराशा की भावना व्यक्त कर रहे हैं वही शिवगढ़ क्षेत्र के ग्राम पंचायत सरांय छात्रधारी से दूसरी बार निर्वाचित हुए ग्राम प्रधान विष्णु कुमार गोस्वामी ने अपना एक वीडियो जारी कर सभी से अपील करते हुए कहा है कि पिछले 5 वर्षों से हर्षोल्लास पूर्वक कावड़ यात्रा में जाते थे। किंतु पिछली बार कोरोना महामारी के चलते कावड़ यात्रा में नहीं जा सके। इस बार भी कोरोना का कहर जारी है। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो गई है इसलिए सभी से अपील है कि शासन के दिशा निर्देशानुसार कांवड़ यात्रा में बाबा बैजनाथधाम न जाकर यहीं सच्चे हृदय से भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर लें। उन्होंने सभी से करबद्ध निवेदन करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के विरुद्ध जंग हम सबको मिलकर लड़नी है। सावधानी एवं सतर्कता बरतें, घर में रहें, परिवार में रहे, सुरक्षित रहें। विदित हो कि प्रतिवर्ष शिवगढ़ क्षेत्र के पड़रिया, शिवगढ़, सरांय छत्रधारी व ग्राम पंचायत गूढ़ा और ओसाह से करीब 1000 कांवडियां अलग-अलग जत्थों में बाबा बैजनाथ,वासुकीनाथ व बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन एवं जलाभिषेक के लिए जाते थे। कांवड़ यात्रा में जाने से पूर्व कावड़ियां शिवगढ़ क्षेत्र के श्री बरखण्डेश्वर महादेव,रामजानकी मन्दिर सहित क्षेत्र के अन्य मंदिरों में माथा टेक कर बाबा बैजनाथ के दर्शन के लिए रवाना होते थे। जो बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ और रायबरेली के बछरावां रेलवे स्टेशन से बिहार स्थित सुल्तानगंज के लिए ट्रेन पकड़ते थे। जहां पहुंचकर गंगा स्नान करते थे और वहां से 120 किलोमीटर दूर झारखण्ड स्थित बाबा बैजनाथ के जलाभिषेक के लिए पैदल कावड़ लेकर जाते थे। जहां बाबा बैजनाथ के मंदिर में जलाभिषेक करने के बाद बस द्वारा झारखण्ड़ स्थित बाबा वासुकीनाथ के दर्शन के लिए जाते थे। जिसके बाद बासुकीनाथ अथवा जेसीडीह रेलवे स्टेशन से बाई ट्रेन बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए जाते थे और बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के बाद करीब एक सप्ताह बाद कांवडियां   वापस घर लौटते थे। जिसके बाद संयुक्त रुप से अलग-अलग गांवों में बाबा बैजनाथ के भण्डारे का आयोजन किया जाता था।

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