आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर आसमान से अमृत वर्षा होती है, जिसे प्राप्त करने के लिए व्यक्ति विधि-विधान से शरद पूर्णिमा का व्रत रखता है. शरद पूर्णिमा को कोजोगार पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस रात चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट एवं अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. हर तरफ सफेद रोशनी से प्रकृति नहा उठती है.
बता दें कि शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं. जिसका अर्थ है कि कौन जाग रहा है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की सफेद रोशनी में धन की देवी माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवारी करते हुए घूमने के लिए निकलती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है. यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को लक्ष्मी के साधक सारी रात जगकर उनकी साधना-आराधना करते हैं.
