कानपुर: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार हर साल दिया जाता है। उत्तर प्रदेश के कानपुर आईआईटी के बॉयो साइंस एंड बॉयो इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक डॉ. अरुण शुक्ला को भारतीय औद्योगिकी तथा अनुसंधान संस्थान की ओर से शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार दिया जाएगा।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को यह पुरस्कार हर साल दिया जाता है। फरवरी में विज्ञान दिवस के अवसर पर पुरस्कार दिया जाएगा। डॉ. अरुण को जैविक विज्ञान वर्ग में पुरस्कार दिया गया है।
इन्होंने दवाओं के शरीर में होने वाले साइड इफेक्ट को कम करने पर शोध किया है। डॉ. शुक्ला ने बताया कि साइड इफेक्ट को कम करने के लिए जी प्रोटीन कपल रिसेप्टर (जीपीसीआर) के जरिये शरीर में बीमारी की जरूरत के हिसाब से दवा बनाने पर शोध किया है।
उन्होंने कहा कि बताया कि हमारा प्रयास है कि देश में ऐसी दवाएं बनाई जाएं, जो बीमारियों को तो दूर करें, लेकिन कोई साइड इफेक्ट न हो। उन्होंने बताया कि जीपीसीआर पर काम इसलिए किया, क्योंकि यह शरीर की कोशिकाओं को मेंबरेन से बंद रखता है। निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने ट्वीट करके उन्हें बधाई दी है।
निवासी – कुशीनगर
स्नातक (बीएससी) – गोरखपुर विश्वविद्यालय
परास्नातक (एमएससी) – जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
पीएचडी – जर्मनी
शोध- नॉर्थ कैरोलिना (अमेरिका)
