नई शिक्षा नीति के आगमन के साथ देशभर में कई शिक्षण संस्थानों में कई महत्वपूर्ण प्रारंभ और परिवर्तन किए गए हैं। इन सभी शिक्षण संस्थानों में नई शिक्षा नीति को पूरी तरह से वास्तव में रूपांतरित करने में लखनऊ विश्वविद्यालय सबसे आगे रहा है। विश्वविद्यालय ने न केवल नई शिक्षा नीति के अंतर्गत अपने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू किया जिसमें अंतर और अंत: विभागीय विकल्पों से लेकर विभिन्न वैल्यू ऐडेड कोर्सेज भी शामिल है, बल्कि पिछले कुछ दिनों से विश्वविद्यालय के स्नातक स्तर पर भी नई शिक्षा नीति के निर्देशों को लागू करने की पूरी तैयारी चल रही है।
इसी संदर्भ में कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने सभी विभागों को यह सुझाव दिया है कि विभाग अपने नए पाठ्यक्रमों में अपने विषय से संबंधी प्राचीन भारतीय विशेषज्ञों व पुरोधाओं की रचनाओं और सिद्धांतों के साथ-साथ स्वयं उनके बारे में भी पढ़ाने का प्रबंध करेंगे। प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने बताया कि हमारे देश में हर विषय के पुरोधा व्यक्ति मिलेंगे जिनकी रचनाओं ने इन विषयों को आज की उनकी एकेडमिक एक्सीलेंस तक पहुंचाया है। यदि भारतवर्ष ने गणित में आर्यभट्ट एवं भौतिक विज्ञान में भास्कराचार्य जैसे विद्वान को जन्म दिया है तो वही राजनीति शास्त्र में कौटिल्य को भी जन्मा हैं।
नई शिक्षा नीति एक वैश्विक शिक्षा के साथ-साथ हमें अपने इतिहास और संस्कृति की तरफ देखने का भी प्रोत्साहन देती है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय के सभी विभागों को यह निर्देश दिया गया है कि आने वाले सत्र में लागू होने वाले 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में सभी विषय अपने अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ के बारे में पाठ शामिल करेंगे।