जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में सत्ताधारी भाजपा ने अपना दबदबा कायम रखा । प्रदेश के सभी 75 जिलों में शनिवार को नामांकन की तारीख थी, मगर ज्यादातर जगहों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में इसे लेकर जमकर घमासान हुआ। हालांकि आयोग ने सभी जिलों में शांतिपूर्ण नामांकन का दावा किया है। नामांकन के बाद 18 जिलों में निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है। इनमें 17 जिलों में भाजपा प्रत्याशियों ने अध्यक्षों का निर्विरोध निर्वाचन सुनिश्चित कर लिया है। सपा एक मात्र इटावा निर्विरोध जीतने में सफल हुई है। बाकी जिलों में एक से अधिक नामांकन हुए हैं।
गोरखपुर में सपा के पहले से तय प्रत्याशी आलोक गुप्ता नामांकन करने नहीं पहुंचे, तो पार्टी ने तत्काल जितेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया। उन्होंने नामांकन पत्र नहीं खरीदा था, फिर भी नामांकन दाखिल करने पहुंचे जिसका भाजपा ने विरोध किया। दोनों पक्षों में मारपीट भी हुई। सपा नेताओं ने आरोप लगाया कि नामांकन स्थल के मुख्य द्वार पर भाजपाइयों ने कब्जा कर लिया था, जिससे नामांकन दाखिल नहीं हो सका। वहीं, बलरामपुर में घंटों हंगामा करने के बाद भी सपाई जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपने प्रत्याशी किरन यादव का पर्चा दाखिल नहीं करा सके। सपाइयों ने पुलिस व प्रशासन पर प्रत्याशी को नजरबंद करने तथा अपहरण कर पर्चा छीनने का आरोप लगाया है।
21 साल की सबसे कम उम्र की जिला पंचायत अध्यक्ष होंगी आरती तिवारी
बीए तृतीय वर्ष की छात्रा 21 वर्षीय आरती तिवारी प्रदेश की सबसे युवा जिला पंचायत अध्यक्ष होंगी। बलरामपुर में एकमात्र नामांकन भाजपा प्रत्याशी आरती ने किया और उनका निर्वाचन निर्विरोध होगा। हालांकि सपा प्रत्याशी किरन यादव नामांकन करने नहीं पहुंच सकीं। भाजपा ने साधारण किसान की बेटी को सियासत में इस मुकाम पर पहुंचाकर नेतृत्व में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने का संदेश दिया है।
नाराज अखिलेश ने 11 जिलाध्यक्षों को पद से हटाया
जिला पंचायत चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के नामांकन दाखिल न कर पाने से नाराज अखिलेश यादव ने गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गौतमबुद्ध नगर, मऊ, बलरामपुर, श्रावस्ती, भदोही, गोंडा और ललितपुर के जिलाध्यक्षों को हटा दिया है।