पीसीपीएनडी एक्ट : जनपद महाराजगंज प्रदेश का एक ऐसा ज़िला है जहाँ चिकित्सा सुविधा के नाम पे अभी बहुत पीछे माना जाता है अभी भी लोग आज किसी आपात की दसा में बड़े शहर की और रुख़ करते है, उस सुविधा में एक अल्ट्रासाउंड की भी एक सुविधा का नाम आता है कहने को तो ज़िले में कुल रजिस्टर अल्ट्रासाउंड सेंटर की संख्या ५१ है परंतु उन अल्ट्रासाउंड सेंटर में कितने रेडियोलॉजिस्ट या सानोलॉजिस्ट है यह एक गंभीर जाँच का विषय है ,
आज कल शहर में अल्ट्रासाउंड सेण्टरों पर ज़बरज़स्त छापेमारी चल रही और अब तक लगभग तीन सेंटर सील भी हो चुके है परंतु क्या शहर में केवल तीन सेंटर है जहां ऐसी अनियमितता पायी जा रही यह एक सोच का विषय है ।
पीसींपीएनडीटी एक्ट १९९४ का गठन का मतलब देश में बिगड़ रहे महिला और पुरुष के अनुपात को लेके है परंतु वो कहावत है ना एक सजा के तोड़ हज़ार है आज वह बात कही ना कही इसपे लागू हो रहा ,
आइये आप को इस एक्ट के कुछ विशेष पहलुओं को बताते है हमारी टीम ने जब एक जानकार वकील जो कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के जानकार है उनसे बात की और जानकारी ली तो पता चला इसमें तो बहुत झोंल है जैसे एक्ट ये कहता है की 2014 से पूर्व एमबीबीएस डॉ को भी ये लाइसेंस दिया जाता था और वह इस काम को सोनिलॉजिस्ट की तरह जाने जाएँगे परन्तु धीरे धीरे इस एक्ट में बदलाव आया और उनको एक एग्जाम पास करने के लिए ३ मौक़ा दिया जाएगा परंतु कुछ राज्य सरकार एग्जाम करा लिये परंतु अपना एक राज्य उत्तर प्रदेश इसमें पीछे रहा जिसकी वजह वह 2014 से पूर्व सोनोलॉजिस्ट कार्य करेंगे जब तक की वह एग्जाम हो ना जाये जबकी सुप्रीमकोर्ट का एक फ़ैसला इनके लिए आया हुआ है की १५ साल से कर रहे एमबीबीएस डॉ को उस एग्जाम से छूट भी दे रखा गया है ।
अब आती है स्पेशलिस्ट की बारी तो आप को बता दे की रेडियोलॉजिस्ट को सारे अल्ट्रासाउंड करने का अधिकार है जैसे वह गर्भवती महिला हो या कोई भी ,लेकिन ऐसे स्पेशलिस्ट जो एमबीबीएस के बाद किसी एक पैथी में डिप्लोमा या मास्टर की डिग्री ले रखे है तो वह सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने पैथी में इलाज करेंगे इसके अलावा उनके ऊपर ये भी नियम लागू है की वह सिर्फ़ अपने मरीज़ का अल्ट्रासाउंड कर सकते है ना की किसी अन्य डॉ के भेजे मरीज़ का मतलब उनको सिर्फ़ अपने सेंटर पर जहां वह मरीज़ देखते है वही लाइसेंस निर्गत होगा ना की डायग्नोस्टिक सेंटर का।
कुछ डिग्री अनुसार अल्ट्रासाउंड करने का अधिकार
जैसे
एमबीबीएस एम एस- ( प्रसूति रोग)- ये सिर्फ़ अपने पैथी जैसे गर्भवती महिलायें या स्त्री रोग में अल्ट्रासाउंड कर सकती सिर्फ़ अपने मरीज़ का ना की इनके नाम से डायग्नोस्टिक सेंटर का लाइसेंस मतलब अपने क्लिनिक या हॉस्पिटल पे लाइसेंस ले अपने मरीज़ का अल्ट्रासाउंड कर सकती है
वैसे ही अलग अलग डिग्री धारको का भी यही नियम है ।
जब हमारी टीम ने ज़िले का हाल देखा तो यह सब गोलमाल लगा
तो क्या ज़िले के आला अफ़सर इस बात को गंभीर ले पुनः इसका निरीक्षण करा इसपे एक्शन लेंगे यह एक आगे का विषय है
इन सारी एक्ट जिसपे हमारी टीम ने बात कही है इसका पूर्ण एक्ट की कॉपी हमारे टीम के पास उपलब्ध है
अगले पार्ट में हम आप को कुछ और एक्ट के बारे में बताएँगे तब तक के लिये आप हमारे न्यूज़ चैनल से जुड़े रहे।