मुस्लिम युवाओं और युवतियों की गैर मुस्लिमों से निकाह को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शरीयत में अवैध करार दिया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से जारी दिशा निर्देश में कहा गया है कि माता-पिता अपने बच्चों की दीनी (धार्मिक) शिक्षा की व्यवस्था करें। लड़के और लड़कियों के मोबाइल फोन इत्यादि पर कड़ी नजर रखें। जितना हो सके लड़कियों को बालिका स्कूल में पढ़ाने का प्रयास करें। सुनिश्चित करें कि उनका समय स्कूल के बाहर और कहीं भी व्यतीत न हो।

बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि एक मुस्लिम लड़की केवल मुस्लिम लड़के से ही निकाह कर सकती है। इसी तरह, एक मुस्लिम लड़का एक मुशरिक (बहुदेववादी) निकाह से शादी नहीं कर सकता। अगर गैर मुस्लिम से निकाह हुआ है तो शरीयत के अनुसार वह वैध नहीं होगी।

बोर्ड ने कहा कि आमतौर पर रजिस्ट्री कार्यालय में शादी करने वाले लड़के या लड़कियों के नामों की सूची पहले ही जारी कर दी जाती है। धार्मिक संगठन, संस्थाएं, मदरसे के शिक्षक गणमान्य लोगों के साथ उनके घरों में जाकर समझाएं।

विशेषकर लड़कियों की शादियों में देरी न हो उनकी समय पर शादी करें। शादी में देरी भी ऐसी घटनाओं का एक बड़ा कारण है। मस्जिदों के इमाम जुमा के खिताब, कुरआन और हदीस के दर्स में इस विषय पर चर्चा करें और लोगों को बताएं कि उन्हें अपनी बेटियों को कैसे प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं न हों।

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