वाराणसी: 22 जनवरी का दिन अब नजदीक ही है और अयोध्या में रामलला की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया जाएगा । इस दिन को संपूर्ण अयोध्या में एक उत्सव की तरह मनाया जाएगा। देशभर में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हर्षोल्लास का माहौल देखा जा रहा है। अयोध्या में तैयारीयाँ भी जोरशोर से शुरू है।

अलग-अलग राज्यों से अयोध्या में प्रसाद भेजा जा रहा है । वही साथ ही साथ पूजा से जुड़ी अन्य सामग्री भी अयोध्या में भेजी जा रही है। केवल भारत भर से नहीं बल्कि भारत के आसपास के राज्यों से भी विभिन्न प्रकार के सामग्रियां और उपहार राम जन्मभूमि के लिए भेजे जा रहे हैं।

इसी क्रम में पूरी तरह से राममय हो चुकी शिव की काशी में 12 कारीगरों ने एक अनूठी साड़ी तैयार की है। यह 6.5 मीटर की प्योर सिल्क की साड़ी और उस पर 1800 चित्रों के जरिये उकेरे गए रामचरित मानस के अलग-अलग प्रसंग। करीब तीन माह में तैयार की गई इस साड़ी को अब 22 जनवरी को अयोध्या के श्रीराममंदिर में रामलला के चरणों में अर्पित किया जाएगा।

बनारस के साड़ी कारोबारी ने बताया कि सिल्क की इस साड़ी पर करीब 1800 सौ चित्र बनाए गए हैं। इन चित्रों के जरिये श्रीरामचरित मानस के सात अध्यायों का वर्णन किया गया है। इसमें प्रभु श्रीराम के बाल्यकाल से लेकर वनगमन, लंका विजय और अयोध्या में राज्याभिषेक तक के अध्याय शामिल हैं। साड़ी पर बुनाई के बजाय हाथ से पेंटिंग की गई है और 50 से अधिक रंगों का इस्तेमाल हुआ है।

उन्होंने बताया कि ये साड़ी व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं बनाई गई है। साड़ी प्रभु श्रीराम और मां जानकी को समर्पित करनी है इसलिए इसे बनाने में आस्था का पूरा ध्यान रखा गया है। इस साड़ी को बनाने से पहले हनुमान चलीसा का पाठ किया गया था।

इसे बनाने को जो कारीगर लगाए गए थे, वो रोजाना स्नान-ध्यान करने के बाद इसे बनाना शुरू करते थे। शौचालय जाने के बाद उन्हें फिर से नहाकर और कपड़े बदलकर ही इसे बनाने की इजाजत थी। इतना ही नहीं साड़ी बनने के बाद जो सामग्रियां बच गईं उन्हें गंगा में प्रवाहित कर दिया गया।

अतः देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रीराम के भक्तों में उनकी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर गजब का उत्साह और खुशी का माहौल है। भक्त अपने-अपने तरीके से इस भव्य आयोजन में अपनी सहभागिता दर्ज करा रहे हैं। हर कोई अपने तरीके से भगवान को रिझाने का प्रयास कर रहा है।

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