नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा की पूजा कुष्मांडा के रूप में की जाती है. अपनी मंद मुस्कान द्वारा ‘अण्ड’ यानी ‘ब्रह्मांड’ की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें कुष्मांडा कहा गया है. मान्यता है कि जब दुनिया नहीं थी, तब इन्होंने ही अपने हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी इसीलिए इन्हें सृष्टि की आदिशक्ति कहा गया है. देवी की आठ भुजाएं हैं.
इनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा व जप माला है. देवी का वाहन सिंह है. शांत और संयम भाव से माता कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. इनकी उपासना से भक्तों को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं. लोग नीरोग होते हैं और आयु व यश में बढ़ोतरी होती है. इस दिन माता को मालपुआ का प्रसाद चढ़ाना चाहिए. इससे बुद्धि का विकास होता है.
