रिपोर्ट: जंगलों में बाघ का और जीवन 10 से 12 वर्ष का होता है। देश में पिछले एक साल में विभिन्न कारणों से 127 बाघों की मौत हो गई। 2020 में यह आंकड़ा 106 था और 2019 में और भी कम 96 था। जलवायु परिवर्तन, वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा में एक जवाब में यह जानकारी दी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार मानव एवं वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। अवैध शिकार को लेकर कठोर कार्रवाई की गई है। सतत प्रयास व संरक्षण से देश में बाघों की आबादी दोगुनी हो गई है।

मंत्री ने कहा कि बाघों की मौत के कई कारण हैं। कुछ बाघों की मृत्यु वृद्धावस्था, आपसी संघर्ष, बिजली के करंट, बीमारी और दुर्घटना के कारण हुई हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में सबसे ज्यादा 42 बाघों की मौत हुई। जबकि महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 27, कर्नाटक में 15 और उत्तर प्रदेश में 9 है।

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