परमाणु हथियारों को स्टोर करने वाले 100 इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल साइलो बना रहा है चीन

दुनिया पर कब्जे का ख्वाब देख रहा चीन इन दिनों तेजी से अपनी मिसाइल क्षमता बढ़ा रहा है. हाल में ली गई सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि चीन उत्तर-पश्चिमी शहर युमेन के पास एक रेगिस्तान में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए 100 से अधिक नए मिसाइल साइलों का निर्माण कर रहा है. साइलो स्टोरेज कंटेनर होते हैं, जिनके अंदर लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें रखी जाती हैं. इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों की रेंज काफी लंबी होती है.

ये मिसाइलें एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में हमला करने में सक्षम होती हैं. इनमें बैलिस्टिक मिसाइलें अपने लॉन्चिंग साइट से उड़ान भरती हैं और अंतरिक्ष में यात्रा करते हुए टार्गेट का सफलतापूर्वक खात्मा कर देती हैं. ये मिसाइलें पारंपरिक और परमाणु हथियारों से हमला कर सकती हैं. चीन के पास DF-5 और DF-41 जैसी घातक मिसाइलें हैं, जो अमेरिका को मार गिराने में सक्षम हैं. यही वजह है कि रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका को चीन के साथ हथियारों को लेकर बातचीत करनी चाहिए.

रिपोर्ट के मुताबिक अगर 100 से अधिक नए मिसाइल साइलो का निर्माण पूरा हो जाता है, तो यह चीन के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव का प्रतिनिधित्व करेगा और इससे चीन की परमाणु क्षमता में बड़ा इजाफा हो जाएगा. माना जाता है कि चीन के पास 250 से 350 परमाणु हथियारों का जखीरा है. हालांकि, चीन के पास कितनी मिसाइलें हैं, इसकी वास्तविक संख्या की जानकारी नहीं है, मगर इसकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं होगी. चीन पहले भी डिकॉय साइलो की तैनाती कर चुका है.

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