अलपन बंद्योपाध्याय ने को लेकर उपजा विवाद थमने का नहीं ले रहा है। एक दूसरों पर आरोपों का दौर जारी है। इसी बीच सरकारी सूत्रों के मुताबिक बंद्योपाध्याय के आचरण से आईएएस तंत्र को नुकसान पहुंचा है क्योंकि ऐसा लग रहा था कि वह मुख्यमंत्री के निजी कर्मचारी की तरह काम कर रहे थे।
सूत्रों ने सवाल किया कि क्या अलपन बंद्योपाध्याय ने खुद को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की इच्छा के अधीन कर लिया था, ताकि सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पुरस्कृत किया जा सके।
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के निजी कर्मचारी की तरह काम नहीं कर सकते। प्रधानमंत्री जब चक्रवात यास के बाद हुए नुकसान के आकलन के लिए राज्य में समीक्षा बैठक कर रहे थे, उस समय बंद्योपाध्याय ने का आचरण सवालों के दायरे में आ गया।
सूत्रों ने बताया कि देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल ने आईएएस अधिकारियों के पहले बैच को संबोधित करते हुए उन्हें भारत का स्टील ढांचा बताया था।
सूत्रों ने कहा कि पटेल ने ना केवल युवा अधिकारियों को प्रेरित करने के लिए इस कथन का उपयोग किया बल्कि इसके पीछे कई अर्थ छिपे थे कि भारत एक बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है जहां राज्यों के शासकों के अपने स्वयं के हित और अहंकार होंगे।
उन्होंने कहा कि अगर केंद्र के प्रतिनिधि प्राकृतिक आपदा के बाद मुख्य सचिव द्वारा बुलायी गई बैठकों का बहिष्कार करते तो क्या यह संघीय ढांचे में संस्थागत विघटन के समान नहीं होता.
एक सूत्र ने कहा कि क्या इससे अराजकता नहीं होती? अलपन बंद्योपाध्याय के 28 मई के आचरण ने आईएएस को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, जिन्हें सरदार पटेल ने भारत का स्टील ढांचा’ बताया था।
केंद्र का कहा- ममता ने तोड़ा प्रोटोकॉल
केंद्रीय सूत्रों ने मंगलवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में चक्रवात के बाद की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली समीक्षा बैठक से बिना इजाजत लिए गायब रहकर तय प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है।
साथ ही सूत्रों ने यह भी कहा कि मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को लेकर उपजे विवाद में भी ममता गुमराह कर रही हैं। पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री के कलईकुंडा में लैंड करने के बाद ममता बनर्जी उनसे छोटी सी मुलाकात कर दीघा के लिए निकल गई थीं और उन्होंने राज्य में चक्रवात से हुए नुकसान की समीक्षा बैठक में भाग नहीं लिया था।