किसान आंदोलन : जंतर-मंतर पर दूसरे दिन 200 किसान प्रतिनिधियों की संसद में जमकर हंगामा हुआ।सिंघु बॉर्डर से जंतर-मंतर पहुंचे किसानों की करीब 11.20 बजे संसद लगी। सत्र की शुरुआत में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के साथ कृषि कानूनों पर पक्ष रखने के लिए अपने बीच से कृषि मंत्री का भी चुनाव किया। किसानों ने जैसे ही दोगुनी आय, न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी कानूनों पर सवाल उठाए, कृषि मंत्री को इसका जवाब नहीं देते बन रहा था। पूरे सत्र में वह किसानों के सवालों से घिरे रहे। इससे नाराजगी जाहिर करते हुए किसानों ने नारेबाजी की। पहला सत्र इसी माहौल में चलता रहा।
लंच ब्रेक के बाद करीब 2:30 बजे शुरू हुए दूसरे सत्र में भी हालात नहीं बदले। किसान प्रतिनिधि अपने सवालों का माकूल जवाब न मिलने की बात करते हुए हंगामा करते दिखे। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बार-बार समझाने के बाद भी शोरगुुल नहीं थमा। इस सबके बीच सवालों से घिरे मंत्री जवाब नहीं दे सके और पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि वह किसानों के सामने निरुत्तर हैं। इसके बाद सभी सदस्यों ने तालियां बजाते हुए अपनी जीत पर खुशियां जताई। इसके बाद ही किसानों की संसद की कार्यवाही हो सकी। दिन के आखिरी और तीसरे सत्र में भी मंडी कानून पर चर्चा हुई। आखिर में करीब 5 बजे किसान संसद का सत्र सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सोमवार को किसान संसद में सिर्फ महिलाएं हिस्सा बनेंगी। 200 महिला किसान प्रतिनिधियों पर सत्र के संचालन से लेकर हर गतिविधि तक की जिम्मेेदारी होगी।
इस दौरान किसान प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार के कानून को सिरे से खारिज कर दिया। किसानों ने केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के बयानों की भी आलोचना की है। पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र रवनीत सिंह बराड़ ने कहा कि एक दिन के लिए किसान संसद में मंत्री बनाए जाने पर बेहद खुश हुए, लेकिन सदस्यों के सवालों का जवाब देना मुश्किल हो गया तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
