समुद्रयान: धरती तो कई रहस्यों से पटी पड़ी है। उससे कहीं ज्यादा रहस्य तो समुद्र में छुपा हुआ है। उससे भी कहीं ज्यादा आकाश रहस्यमयी है और उससे कई गुना अं‍तरिक्ष में अंतहीन रहस्य छुपा हुआ है। दुनिया में ऐसे कई रहस्य हैं जिनका जवाब अभी भी खोजा जाना बाकी है। और समुद्री जीवन भी अपनेआप में एक रहस्य है। इसी रहस्य को जानने के लिए भारत ने अपना पहला मानवयुक्त समुद्री मिशन लांच कर दिया है। इस मिशन का उद्देश्य समुद्र की गहराई में अनुसंधान करना है। इस मिशन की शुरुआत करते ही भारत भी उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो समुद्र पर अध्ययन व अनुसंधान कर रहे हैं।

जाने इस मिशन की खूबी
यह मिशन भारत के महासागर मिशन का हिस्सा है। समुद्र के नीचे भारत का यह पहला मिशन है। इसलिए यह मिशन भारत के लिए और भी ज्यादा खास है। इस मिशन के तहत भारत लंबे समय तक समुद्र की गहराई में खोज करेगा और कुछ जटिल रहस्यों को दुनिया के सामने रखेगा।

आधुनिक तकनीकों से लैस है 
इस यान को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह समुद्र की गहराई में भी खोज कर सकता है। इसमें पॉलीमेटेलिक मैगजीन, नोड्यूल,  हाइड्रेट्स गैस, हाइडो थर्मल सल्फाइड उपलब्ध हैं। मत्स्य-6000 दिसंबर 2024 तक अपने सभी परीक्षणों के लिए तैयार हो जाएगा। इसे 2022-23 के अंत तक 500 मीटर  तक के लिए तैयार कर लिया जाएगा।

समुद्र के नीचे  96 घंटे तक रह सकता है
सामान्य स्थिति में यह समुद्रयान 12 घंटे तक समुद्र की गहराई में रह सकता है। वहीं आपातकालीन स्थिति में यह 96 घंटे तक समुद्र में रहने में सक्षम है। समुद्रयान 1000 से 5500 मीटर की गहराई में भी काम कर सकता है।

यह मिशन छह हजार करोड़ रुपये का है 
समुद्रयान राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान के महासागर मिशन का हिस्सा है। इस पूरी समुद्रयान परियोजना के लिए 6 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। समुद्रयान मत्स्य-6000 टाइटेनियम धातु से बना है। इसका व्यास 2.1 मीटर है। यह यान तीन लोगों को समुद्र की गहराई में ले जाने में सक्षम है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *