लखनऊ ट्रांसपोर्टनगर हादसा: ट्रांसपोर्टनगर में जिस बिल्डिंग के ढहने से आठ लोगों की जान गई, उसके निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई थी। इसलिए वह बहुत कम समय में जर्जर हो गई। ढहने का यही मुख्य कारण है। कमाई के फेर में अनदेखी की गई। ये दावे पुलिस की ओर से दर्ज कराए गए एफआईआर में किए गए हैं। ट्रांसपोर्टनगर चौकी इंचार्ज महेश कुमार सिंह की तहरीर पर दर्ज की गई एफआईआर के मुताबिक राकेश सिंघल ने किराये पर उठाने के लिए बिल्डिंग बनवाई थी। जानबूझकर निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। पता था कि ऐसी स्थिति में कभी भी ये बिल्डिंग काल बन सकती है, फिर भी कमाई के चक्कर में उसको किराये पर दिया गया। आखिर में वही हुआ। आठ लोगों की जान चली। 28 लोग घायल हो गए और कई अभी भी फंसे हुए हैं।
एफआईआर के मुताबिक पुलिस की तफ्तीश में सामने आया कि वहां काम करने वालों को पता चल गया था कि बिल्डिंग जर्जर हो रही है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए उन्होंने इस बारे में बिल्डिंग मालिक को जानकारी दी थी। ये भी कहा था कि इसकी मरम्मत करवा दी जाए, जिससे भविष्य में किसी तरह का कोई खतरा न रहे। पर, मालिक ने मरम्मत नहीं कराई। आरोप है कि बिल्डिंग मालिक ने किरायेदारों को बरगलाया। उनकी जान जोखिम में डाली। लोगों ने बिल्डिंग मालिक पर भरोसा करके किराये पर ले ली थी। एफआईआर में कहा गया है कि प्रथमदृष्टया ही पता चल जाता है कि निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई थी। बाकी इसकी पुष्टि जांच में होगी। पुलिस उस जांच रिपोर्ट को अपनी विवेचना में भी शामिल करेगी।
शुरुआती जांच में सामने आया है कि जिन पिलर पर बिल्डिंग खड़ी थी, वे बेहद कमजोर थे। इसीलिए एक साथ पूरी बिल्डिंग जमींदोज हुई। अगर एकाध हिस्सा कमजोर होता, तो शायद उतना ही ढहता। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से आसपास का एरिया सील किया है। ट्रैफिक डायवर्जन भी लागू किया गया है। एफआईआर में जिक्र किया गया है कि धमाके की आवाज के साथ बिल्डिंग ढही थी। रेस्क्यू और जांच टीमें ये भी देख रही हैं कि कहीं कोई सिलिंडर या अन्य किसी चीज में ब्लास्ट तो नहीं हुआ था।
रेस्क्यू ऑपरेशन में करीब 400 जवानों ने मोर्चा संभाला है। स्नीफर डॉग की मदद ली जा रही है। ताकि कोई मलबे में दबा हो तो उसे जल्द से जल्द निकाला जा सके। जिंदगी बचाने की जद्दोजहद लगातार जारी है। पुलिस, दमकल, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें जुटी हुई हैं। सभी को शिफ्ट वाइज लगाया जा रहा है। तकनीक का इस्तेमाल कर मलबे में लोगों की तलाश की जा रही है। स्नीफर डॉग को वहां ले जाया जा रहा है। जिस जगह को वो स्मेल से चिन्हित करते हैं वहां पर डि्रलिंग कर मलबा हटाया जा रहा है। मलबा हटाने के लिए एक पोकलेन लगाई गई है। साथ में तीन जेसीबी भी लगी हैं। नगर निगम की टीमें लगातार काम में लगी हैं। बिल्डिंग में दवाई, मोबिल ऑयल और गिफ्ट का गोदाम था। करोड़ों रुपये का माल मलबे में दबकर बर्बाद हो गया।
जो बिल्डिंग धराशायी हुई वह आशियाना निवासी कुमकुम सिंघल के नाम पर है। उनके ही नाम पर नक्शा पास हुआ था। हालांकि एफआईआर उनके पति राकेश सिंघल पर दर्ज हुई है। सूत्रों के मुताबिक हादसे के बाद जब पुलिस ने जानकारी जुटाई, तो राकेश सिंघल का नाम सामने आया था, क्योंकि बिल्डिंग का पूरा काम वही देखते थे। पुलिस ने उसी सूचना के आधार पर केस दर्ज किया। अब पुलिस जब केस की विवेचना करेगी तो साक्ष्यों के आधार पर संभव है कि कुमकुम को आरोपी बनाए। अगर ऐसा होता है तो कुमकुम पर कार्रवाई होगी।