India

बायोलॉजिकल ई: बायोलॉजिकल ई ने अपने कोरोनावायरस टीके के लिए आपात इस्तेमाल की मांगी मंजूरी, दवा विनियामक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को सौंपा प्रस्ताव

बायोलॉजिकल ई की मांग: भारत के दवा विनियामक- ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोर्बिवैक्स को मंजूरी दे चुका है। यह भारत की पहली प्रोटीन आधारित वैक्सीन है और इसे भारत में ही विकसित किया गया है। इसे दवा नियामक की तरफ से 28 दिसंबर को मंजूरी दी गई थी।

भारत की वैक्सीन निर्माता कंपनी बायोलॉजिकल ई ने अपने कोरोनावायरस टीके के लिए आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। कंपनी ने कहा है कि उसकी कोर्बिवैक्स वैक्सीन 12-18 साल के आयु वर्ग के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। इसी सिलसिले में कंपनी ने भारत के दवा विनियामक- ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) को प्रस्ताव सौंपा है।

डीसीजीआई को 9 फरवरी को भेजे गए आवेदन में बायोलॉजिकल ई के गुणवत्ता और नियामक मामलों के प्रमुख श्रीनिवास कोसाराजू ने कहा कि उनकी कंपनी को सितंबर 2021 में ही पांच से 18 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज की क्लीनिकल स्टडी की मंजूरी मिल गई थी।

उन्होंने कहा, “निषेधाज्ञा प्रमाणपत्र के आधार पर बायोलॉजिकल ई ने अक्तूबर 2021 में क्लीनिकल स्टडी शुरू कर दी थी। अब हमने दूसरे और तीसरे फेज के परीक्षण से मिले सुरक्षा और प्रभावशीलता के नतीजों को परखने के बाद पाया है कि टीका पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है।”

कोर्बिवैक्स टीका इंट्रामस्क्युलर यानी मांसपेशियों के रास्ते लगाया जाता है। इसकी दो खुराक 28 दिनों के अंतराल पर दी जाती है। कोर्बिवैक्स 0.5 मिलीलीटर (एकल खुराक) और 5 मिलीलीटर (दस खुराक) की शीशी में उपलब्ध है। इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर संरक्षित किया जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बायोलॉजिकल-ई ने भारत में पहले/दूसरे और दूसरे/तीसरे दौर का क्लीनिकल परीक्षण किया है। मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा कंपनी ने कोविशील्ड के मुकाबले इसकी श्रेष्ठता का मूल्यांकन करने के लिए तीसरे चरण का सक्रिय तुलनीय क्लीनिकल परीक्षण भी किया है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top