कोरोना कवच: वयस्कों की तरह बच्चों का भी टीकाकरण कार्यक्रम चरणबद्ध तरीके से ही शुरू होगा। सबसे पहले कोरोना वैक्सीन पहले से बीमार बच्चों में लगेगा, जिन्हें संक्रमण का सबसे अधिक खतरा है। जायडस कैडिला की डीएनए आधारित वैक्सीन को लेकर सबसे अधिक चर्चाएं हो रही हैं। एक तरफ राष्ट्रीय तकनीकी सलाह समिति ने वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद दिशा निर्देश तैयार करना शुरू कर दिया है। यह टीका अधिकतम दो लाख बच्चों को दिया जा सकता है।
इन बच्चों की आयु 12 से 18 वर्ष के बीच होनी चाहिए। वहीं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पहले कोवाक्सिन और अब जायडस कैडिला कंपनी की इस डीएनए वैक्सीन का अंतिम परीक्षण परिणाम सार्वजनिक नहीं हुआ, लेकिन सरकार ने अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर ही इसे अनुमति दे दी।
टीकाकरण को लेकर गठित तकनीकी समिति ने बुधवार से दिशा-निर्देश बनाना शुरू कर दिया है। वयस्कों के साथ ही यह वैक्सीन 12 से 18 वर्ष की आयु वाले उन बच्चों को मिलेगी जिन्हें पहले से कोई न कोई बीमारी है। ऐसे बच्चों की संख्या देश में अधिकतम दो लाख है। इसमें असाध्य और जन्मजात रोगों से ग्रस्त बच्चे भी शामिल हैं। समिति के सदस्यों का मानना है कि यह अनुमानित संख्या है जिसमें बदलाव भी हो सकता है।
अनुमति मिलने के कुछ समय बाद बीते 20 अगस्त को जब तीसरे चरण के परीक्षण परिणाम सार्वजनिक हुए तो विराफिन कोई बड़ा असर मरीजों में दिखाई नहीं दिया। यह 12 हजार रुपये की कीमत में उपलब्ध होता है। सदस्यों का कहना है कि इसी सप्ताह के आखिर में इन पर फैसला हो जाएगा। हालांकि समिति के सदस्यों ने तीसरे परीक्षण को लेकर उठ रहे सवालों पर टिप्पणी से इनकार कर दिया।
