रूस का वादा: भारत और रूस के बीच 2016 में चार स्टील्थ फ्रिगेट की खरीद का सौदा हुआ था। एक अरब डॉलर के इस समझौते के अनुसार दो स्टील्थ फ्रिगेट रूस में बनाए जाने थे, जबकि बाकी दो का निर्माण तकनीक हस्तांतरण करार के तहत गोवा शिपयार्ड में किया जाना है। रूस ने यूक्रेन युद्ध के बावजूद हथियारों की आपूर्ति पर असर न पड़ने देने का भारत से वादा किया है।
भारतीय नौसेना को तलवार श्रेणी के दो स्टील्थ फ्रिगेट (रडार की पकड़ में न आने वाले युद्धपोत) तय समय पर देने का भरोसा दिलाया है। हालांकि मिसाइलरोधी प्रणाली एस-400 की दूसरी खेप की आपूर्ति कुछ समय टलने की आशंका जताई जा रही है। एक भारतीय रक्षा अधिकारी ने बताया, चारों फ्रिगेट का निर्माण शुरू हो चुका है।
रूस में बनने वाले दोनों फ्रिगेट पहले 2022 के अंत तक भारत को मिल जाने थे, लेकिन कोरोना के कारण इनके निर्माण में देरी हुई। अब पहला फ्रिगेट 2023 के मध्य में इंडियन नेवी को सौंपा जाना तय हुआ। गोवा में बनने वाले दोनों पोतों में से पहले की आपूर्ति 2026 में और दूसरे को उसके 6 महीने बाद सौंपा जाना तय है। इंजनों के परीक्षणों या फ्रिगेट की आपूर्ति में किसी तरह की देर नहीं होने दी जाएगी।
जंग से पहले ही जोरया-मैशप्रोकेट कंपनी रूस में बन रहे दोनों भारतीय फ्रिगेट के लिए इंजन की सप्लाई कर चुकी थी। इन इंजन की आपूर्ति भारत को दी गई थी। इसके बाद इन्हें रूस भेजकर फ्रिगेट्स में लगवाया जा चुका है, लेकिन इन दोनों फ्रिगेट्स के जरूरी टेस्ट युद्ध के कारण टल गए हैं।
