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बौद्ध धर्म की प्रार्थना के साथ गूंजेंगी वेदों की ऋचाएं, लद्दाख में खुलेगा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का नया अध्ययन केंद्र

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से देश भर में संबद्ध महाविद्यालयों की संख्या 1200 से भी ज्यादा है। उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात के अलावा नेपाल में भी यहां से संबद्ध महाविद्यालय हैं।

 संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के सहयोग से लद्दाख में संस्कृत का नया अध्ययन केंद्र खुलेगा। इसके तहत पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा और शास्त्री के पाठ्यक्रम शुरू होंगे। हिमालय की गोद में अब जल्द ही बौद्ध धर्म की प्रार्थना के साथ वेदों की ऋचाएं भी गुंजायमान होंगी।

लद्दाख का केंद्रीय बौद्ध विद्या संस्थान संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का नया अध्ययन केंद्र बनेगा। कार्यपरिषद की सहमति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अध्ययन केंद्र का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। शासन को भेजे गए प्रस्ताव में पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, शास्त्री समेत अन्य कक्षाएं चलेंगी। शासन से अनुमति के बाद शुरुआत में यहां पूर्व मध्यमा (कक्षा 10) और उत्तर मध्यमा (कक्षा 12) कोर्स चलाए जाएंगे। संस्कृत के अध्ययन केंद्र के लिए लद्दाख के केंद्रीय बौद्ध विद्या संस्थान की तरफ से लंबे समय से प्रयास किए जा रहे थे।

वर्षों पहले लद्दाख महाविद्यालय (अब विश्वविद्यालय) में संस्कृत विश्वविद्यालय की संबद्धता से शास्त्री व अन्य कोर्स भी चलाए जाते थे, मगर इसके विश्वविद्यालय होने के बाद संबद्धता खत्म हो गई। अध्ययन केंद्र शुरू होने के बाद आने वाले समय में छात्रों की संख्या के आधार पर वहां सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किए जा सकते हैं। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने पिछले सप्ताह ही इस मामले में आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे से मुलाकात की थी। जनसंपर्क अधिकारी शशींद्र मिश्र ने बताया कि कार्यपरिषद से मुहर लगने के बाद प्रस्ताव को शासन की अनुमति के लिए भेजा गया है।

संस्कृत विश्वविद्यालय प्रदेश में प्रथमा, पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा की मान्यता देता था, लेकिन 2001 में प्रदेश सरकार ने संस्कृत माध्यमिक शिक्षा परिषद का गठन कर यह जिम्मेदारी परिषद को सौंप दी। इसके बाद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रदेश के बाहर के केंद्रों को प्रथमा से लेकर उत्तर मध्यमा की मान्यता देता है।

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