वाराणसी: शासन के आदेश के बाद शुरू हुई व्यवस्था, अब मृत्यु प्रमाणपत्र में कोरोना से मौत का हो रहा जिक्र

वाराणसी: कोरोना की दूसरी लहर पहली के मुकाबले ज्यादा प्रभावी थी। इसमें न केवल संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ बल्कि मौतों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा। तेजी से बढ़ती संख्या के बाद शासन ने डेथ ऑडिट का निर्णय लिया था। पिछले दिनों शासन के आदेश के बाद अब प्रमाणपत्र में कोरोना का जिक्र किया जा रहा है। दूसरी लहर एक अप्रैल से शुरू हुई। अस्पतालों में बेड के लिए मारामारी रही। वहीं, ऑक्सीजन और रेमडेसिवर इंजेक्शन के लिए भी लोग परेशान रहे। कोरोना काल में वाराणसी नगर निगम की ओर से जारी होने वाले मृत्यु प्रमाणपत्र में ऑक्सीजन की कमी से मौत का जिक्र नहीं है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार दूसरी लहर में जिले में केवल 773 मौतें हुई हैं जबकि हकीकत में मृतकों की संख्या कहीं अधिक है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनपी सिंह ने बताया कि पिछले दिनों मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने वालों की संख्या अधिक रही। इस समय सामान्य माहौल है। सामान्य दिनों में नगर निगम की ओर से 450 से 500 मृत्यु प्रमाणपत्र हर महीने जारी किए जाते हैं। वहीं, मार्च में 729, अप्रैल में 887, मई में 2692, जून में 590 और जुलाई में अब तक 400 से अधिक मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। आंकड़ों के हिसाब से दूसरी लहर में सबसे अधिक अप्रैल में जहां सर्वाधिक 42,740 मरीज मिले। वहीं, मई में 199 मरीजों ने जान गंवाई।

सीएमओ डॉ. वीबी सिंह ने कहा कि  कोरोना काल में अस्पतालों में भर्ती मरीजों का हर संभव बेहतर इलाज किया गया। इस दौरान अलग-अलग बीमारियों से  भी मरीजों की मौत हुई। फिलहाल इस महीने किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। संभावित तीसरी लहर से निपटने के सभी इंतजाम है।

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