सुशील कुमार की पहली बार अपराध और अपराधियों से जुड़ाव की शुरुआत टोल के धंधे से शुरू हुई. दरअसल एक नामी कम्पनी को दिल्ली के टोल का ठेका मिला था, लेकिन कम्पनी ने टोल चलाने के लिए सुशील को जिम्मेदारी दी थी.
जानकारों के मुताबिक, सुशील को पता था कि टोल चलाने के लिए पहलवान और अपराधी प्रवृत्ति के लोगों की जरूरत होती है, लिहाजा पहली बार सुशील कुमार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया सुंदर भाटी के भतीजे अनिल भाटी से मिले. अनिल भाटी पर हत्या समेत कई मामले उस वक्त दर्ज थे. सुशील ने अनिल भाटी को टोल चलाने की जिम्मेदारी दी.
यूपी एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि साल 2017 में ग्रेटर नोएडा में एक बीजेपी के नेता शिव कुमार की हत्या हुई थी, हमने जब जांच शुरू की थी तो टोल पर काम करने वाले 3 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने अनिल भाटी के कहने पर हत्याकांड को अंजाम दिया था.
एसटीएफ के अधिकारी ने बताया कि उसी दौरान जांच में पता चला था कि सुशील कुमार ने उस टोल को चलाने के लिए अनिल भाटी को जिमेदारी दी थी और उस टोल पर काम करने वाले लड़कों ने बीजेपी नेता की हत्या सुपारी लेकर की थी. हालांकि हत्याकांड में सुशील का रोल नहीं सामने आया था.
टोल पर काम करने वाले ये लड़के उस वक्त लूट, हत्या की वारदातों को अंजाम देते थे. बड़े-बड़े बिजनेसमैन से रंगदारी वसूला करते थे. कई संगीन आरोप लगने के बाद सुशील का टोल वाला धंधा बंद हो गया था.
टोल बूथ पर तैनात किए जाते हैं पहलवान टोल बूथ पर ग्रीन टैक्स वसूलने के लिए पहलवान और अपराधी प्रवत्ति के लोगों को तैनात किया जाता है. ये टोल टैक्स न देने पर किसी को भी पकड़ कर मारपीट करते. पुलिस सूत्रों के मुताबिक टोल बूथ के धंधे की वजह से सुशील की पहचान अनिल भाटी समेत दिल्ली के कई गैंगस्टर जिसमें विकास लगरपुरिया, मंजीत महाल जैसे कुख्यात अपराधियों से हुई.
पुलिस का कहना है कि टोल के कारण ही मौजूदा दौर में सुशील कुमार की पहचान मोस्ट वांटेड काला जठेड़ी और नीरज बवाना से है. दिल्ली पुलिस क्राइम जहां सागर हत्याकांड की जांच कर रही है वहीं दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की कई टीमें सुशील के अपराधियों से गठजोड़ की कुंडली खंगालने में जुटी है.