दिल्ली: दिल्ली फायर सर्विस (डीएफएस) ने एम्स के साथ मिलकर परिसर में एक फायर स्टेशन खोलने का फैसला किया है। डीएफएस के अधिकारी ने बताया कि हमारे लिए यह गर्व का क्षण है। आपातकालीन स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए डीएफएस ने अस्पताल के अंदर एक छोटा फायर स्टेशन खोलने के लिए एम्स के साथ हाथ मिलाया है।
एम्स देश का पहला अस्पताल बन गया है, जिसके परिसर में एक फायर स्टेशन होगा। डीएफएस ने कहा कि आपात स्थिति से निपटने में अब दिक्कत नहीं होगी। सभी बुनियादी ढांचे एम्स द्वारा प्रदान किए जाएंगे और फायर टेंडर, उपकरण और जनशक्ति का प्रबंधन डीएफएस द्वारा किया जाएगा। आपको बता दे कि साल 2016 से लेकर 3 अप्रैल 2019 के बीच एम्स प्रबंधन ने चार बार एडवाइजरी जारी करते हुए विभागों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए थे, लेकिन हालात फिर भी बदले नहीं।
एम्स में इसी साल जून में फिर आग लग गई थी। एम्स के कन्वर्जन ब्लॉक की नौंवी मंजिल में आग लगी थी। यहां मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता है। इससे पहले दिल्ली एम्स में 17 अगस्त 2019 के दौरान भी आगजनी की घटना सामने आई थी। उस घटना के निशान अभी भी एम्स के एकेडमिक ब्लॉक में नजर आते हैं, जिसमें करोड़ों रुपये की अत्याधुनिक लैब जल गई थी। इससे पहले वर्ष 2016 में भी ऐसी घटना सामने आई थी। जांच में पता चला कि शार्ट सर्किट होने की वजह से आग लगी है जो धीरे धीरे नौवीं मंजिल पर फैल गई।
एकेडमिक ब्लॉक में आग की घटना के बाद एम्स ने सभी विभागों को सलाह दी गई थी कि अवकाश होने पर बिजली से जुड़े तमाम उपकरणों को बंद करके ही जाएं, लेकिन इस पर अब तक किसी का ध्यान नहीं। बत्ती बंद करने की फुर्सत एम्स के डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टॉफ या अन्य कर्मचारियों को नहीं है।
