होली: सनातन धर्म में होली का त्योहार सबसे बड़ा माना गया है। होली (Holi) का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होली का पर्व ‘होलिका दहन’ के साथ शुरू हो गया है। रविवार (24 मार्च) को देश के कई हिस्सों में परंपरानुसार पूरे विधि-विधान से होलिका दहन किया गया। 

बता दें कि परंपरा के अनुसार, होलिका दहन के बाद ही रंग और गुलाल से होली खेली जाती है। पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मानाया जाता है। हिंदी कलेंडर के अनुसार, फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। अगले दिन रंग और गुलाल से होली खेली जाती है। रंगों के पर्व को धुलेंडी या धूलि जैसे नामों से भी जाना जाता है।

होली का पर्व मनाने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं। फसलों के उत्सव से भी जोड़कर इसे देखा जाता है क्योंकि होलिका दहन के समय नया अनाज जैसे कि चना और गेहूं अग्नि देव को अर्पित किया जाता है। वहीं होली के लिए सबसे ज्यादा भक्त प्रह्लाद, होलिका और हिरण्यकश्यप की पौराणिक कथा प्रचलित है।

होली ना सिर्फ रंगों का त्योहार है, बल्कि आपसी प्रेम का प्रतीक है इस त्योहार को लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर मौज मस्ती के साथ मनाते हैं।

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