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लखनऊ विश्वविद्यालय ने ” भारत में जनसांख्यिकीय लाभांश: अवसर और चुनौतियाँ” विषय के साथ “विश्व जनसंख्या दिवस” के अवसर पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया

विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर ऑनलाइन मंच के माध्यम से “भारत में जनसांख्यिकीय लाभांश: अवसर और चुनौतियाँ ” कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें शैक्षणिक क्षेत्र से सौ अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। सत्र की शुरुआत कार्यक्रम की मॉडरेटर सुश्री अंजलि मिश्रा, रिसर्च स्कॉलर, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और संरक्षक, प्रो आलोक कुमार राय, कुलपति, विश्वविद्यालय के प्रति आभार व्यक्त किया। सुश्री मिश्रा ने कार्यक्रम की थीम पेश करके सत्र की शुरुआत की और “विश्व जनसंख्या दिवस” के बारे में बताया।

अनविशा सागर पांडेय, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने वेबिनार में सम्मिलित हुए सभी अतिथियों के साथ प्रतिभागियों का स्वागत किया स्वागत और सत्र को डॉ गरिमा सिंह, आयोजन सचिव, सहायक प्रोफेसर, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय को सौंपा, जिन्होंने जनसांख्यिकी विषय की प्रासंगिकता और आज के युग में इसका महत्व के साथ वेबिनार के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. अरुण कुमार शर्मा, पूर्व एमेरिटस फेलो, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर और अन्य वक्ता प्रो. महेश नाथ सिंह, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र एवं वर्तमान समय में सहायक प्रोफेसर के पद पर राज्य स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान में कार्यरत, ने अपने भाषण में पूरे भारत में जनसांख्यिकी में पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों के बारे में उल्लेख किया और अवधारणा के बारे में स्पष्टता देने के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश का अर्थ भी समझाया।

प्रो. शर्मा ने जनसांख्यिकीय खिड़की की अवधारणा का वर्णन किया और “विश्व जनसंख्या दिवस” मनाने के उद्देश्य को स्पष्ट किया और यह न केवल जनसांख्यिकी पर जागरूकता फैलाने के बारे में है बल्कि लिंग, गरीबी, मृत्यु दर, मानवाधिकार और सशक्तिकरण जैसे मुद्दों से भी संबंधित है। तथा महिलाओं का “अप्रत्यक्ष लोकाचार” कैसे है, उल्लेख किया। उन्होंने आगे महत्वपूर्ण उपाय करने की आवश्यकता पर चर्चा की, क्योंकि जनसांख्यिकीय लाभांश धीरे-धीरे “जनसांख्यिकीय खतरे” में बदल रहा है।

प्रो. शर्मा ने उत्तर प्रदेश की प्रस्तावित “जनसंख्या नीति” 2021-2030 के मसौदे के बारे में भी बताया। उन्होंने आगे इसके पक्ष और विपक्ष पर प्रकाश डाला और लिंग के आधार पर विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान करने के विचार के बारे में बताया जिससे लैंगिक असमानता भी बढ़ेगी। उन्होंने इस सुझाव के साथ निष्कर्ष निकाला कि जनसंख्या नीति-मसौदे को संशोधित किया जाना चाहिए।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में आयोजन टीम ने बडी भूमिका निभाई जिसमें सदफ अंसारी, भव्या श्रीवास्तव, फामिया चौधरी, अभिषेक पांडे, सुश्री समन आब्दी, तंजिला सिद्दीकी, अमरीन खान, अखिलेश प्रताप सिंह, हरीम फातिमा नोमानी, गौरी कुमार शामिल थीं। सर्वज्ञ अस्थाना, यामिनी दुबे, सुश्री स्तुति चंद्र, पक्षालिका मानसिंह, श्वेता जायसवाल तथा दिव्या अरोरा ने अपना योगदान दिया। धन्यवाद ज्ञापन अश्विनी पाल, रिसर्च स्कॉलर, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा किया गया।

 

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